इतिहास रचते हुए देवास जिले में आयोजित नेशनल लोक अदालत में अभूतपूर्व 1307 लंबित प्रकरणों का निराकरण किया गया, " नेशनल लोक अदालत एक त्यौहार है जिसमें प्रकरणों का निराकरण कराकर सभी प्रसन्न होते हैं ’’ : श्री अजय प्रकाश मिश्र प्रधान जिला न्यायाधीश,साथ ही सफलता की कहानियां

पंडित रघुनंदन समाधिया : प्रधान संपादक : मां भगवती टाइम्स 

देवास। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवास श्री अजय प्रकाश मिश्र के मार्गदर्शन में दिनांक 13 सितम्बर 2025 शनिवार को जिले के समस्त न्यायालयों में वृहद स्तर पर इस वर्ष की तृतीय ’नेशनल लोक अदालत’ का आयोजन किया गया। 

प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवास श्री अजय प्रकाश मिश्र द्वारा दीप प्रज्जवलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश श्री अजय प्रकाश मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि लोक अदालत का एकमात्र दिन ऐसा होता जिस दिन न्यायाधीष एवं दोनों पक्षकारों के अधिवक्ता एक मन से यही चाहते हैं कि पक्षकारों में समझौता हो और उभयपक्ष खुषी-खुषी घर जाएं। साथ ही उन्होंने न्यायिक अधिकारीगण और अधिवक्तागण को अधिक से अधिक प्रकरणों में राजीनामा कराने के लिए प्रेरित किया। 

नेशनल लोक अदालत में सिविल, आपराधिक, विद्युत अधिनियम, एनआईएक्ट, चैक बाउन्स, श्रम मामले, मोटर दुर्घटना दावा, बीएसएनएल आदि विषयक प्रकरणों के निराकरण हेतु जिला मुख्यालय देवास एवं तहसील स्तर पर सोनकच्छ, कन्नौद, खातेगांव, टोंकखुर्द एवं बागली में 40 न्यायिक खंडपीठों का गठन किया गया। 


श्री अजय प्रकाश मिश्र प्रधान जिला न्यायाधीश एवं श्री रोहित श्रीवास्तव, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विद्युत कंपनी, नगर निगम, बैंक, बीएसएनएल, बीमा कंपनी के स्टाॅल पर जाकर तथा खंडपीठों का भ्रमण कर समस्त संबंधित अधिकारीगण को लोक अदालत में अधिक से अधिक संख्या में प्रकरण के निराकरण हेतु प्रेरित किया गया। राजीनामा करने वाले पक्षकारगण को स्मृति स्वरूप फलदार और फूलों के पौधे भेंट किये गये एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रेरित किया गया।  

शुभारंभ कार्यक्रम में श्रीमती वंदना जैन प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, श्री विकास शर्मा प्रथम जिला न्यायाधीष के चतुर्थ अति. जिला न्यायाधीश, श्री उमाशंकर अग्रवाल द्वितीय जिला न्यायाधीश, श्री अभिषेक गौड़ पंचम जिला न्यायाधीश, श्री उत्तम कुमार डारवी द्वितीय जिला न्यायाधीश, श्री राजेन्द्र कुमार पाटीदार तृतीय जिला न्यायाधीश, श्री प्रसन्न सिंह बहरावत चतुर्थ जिला न्यायाधीश, डाॅ. रविकांत सोलंकी अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, श्री भारत सिंह कनेल मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्री रोहित श्रीवास्तव सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं अन्य न्यायाधीशगण श्री नीलेन्द्र कुमार तिवारी, श्रीमती दीक्षा मौर्य, श्री कुंवर युवराज सिंह, श्रीमती निकिता वाष्र्णेय पांडे, श्री प्रियांशु पांडे, श्रीमती रश्मि अभिजीत मरावी, श्रीमती किरण सिंह, श्री सौरभ जैन, सुश्री चंद्रा पवार, श्री सुभाष चैधरी जिला विधिक सहायता अधिकारी, श्री पंकज पंड्या उपाध्यक्ष अधिवक्ता संघ, श्री अतुल पंड्या सचिव अधिवक्ता संघ, श्रीमती देवबाला पिपलोनिया उपायुक्त नगर निगम,  विद्युत कंपनी एवं बैंक के अधिकारीगण, लीगल एड डिफेंस काउंसेल स्टाॅफ, लोक अभियोजन अधिकारीगण, अधिवक्तागण, पैरालीगल वालेंटियर्स एवं पक्षकारगण उपस्थित रहे।  


नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरणों की जानकारीः-

श्री रोहित श्रीवास्तव सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवास ने बताया कि- इतिहास रचते हुए देवास जिले में आयोजित नेशनल लोक अदालत में अभूतपूर्व 1307 लंबित प्रकरणों का निराकरण हुआ है। संपूर्ण जिले में गठित 40 न्यायिक खंडपीठों में न्यायालयों के लंबित प्रकरणों में आपराधिक प्रकरण 503 ,मोटर दुुर्घटना के 67, चैक बाउन्स 268, फैमेली मेटर्स 48, विद्युत के 207, श्रम के 10, विविध के 172, सिविल के 29, मनी रिकवरी के 3, कुल 1307, प्रकरण निराकृत हुए जिसमें राशि रू.14,41,62,405/-के अवार्ड की गई एवं 3106 लोग लाभांवित हुए। 

निराकृत 67 क्लेम प्रकरणों में राशि रू 28397000/- के अवार्ड आपसी समझौते के आधार पर पारित किए गए। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के 268 प्रकरण निराकृत हुए जिनमें 5,84,26,990/- रूपये के चैकों की राशि में सेटलमेंट किया गया। 56,92,844/- रूपये की राशि के 29 सिविल प्रकरणों का निराकरण हुआ। 

2863 प्रिलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया है जिसमें रूपये 2,33,56,805/-रू. राशि के अवार्ड पारित किए गए है एवं 2876 व्यक्ति लाभांवित हुए हैं


सफलता की कहानी 1

           कुटुम्ब न्यायालय के एक लंबित वैवाहिक प्रकरण में फरीदा बी (परिवर्तित नाम) एवं जाकिर खां (परिवर्तित नाम) का विवाह चार वर्ष पूर्व मुस्लिम रीति रिवाजानुसार संपन्न हुआ था। विवाह के 01 माह तक तो पति ने पत्नी को अच्छे से रखा तथा उसके बाद पति व उसके परिवारजन पत्नी को शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित करने लगे। पति ने पत्नी को घर से बाहर निकालकर मायके भेज दिया। इस कारण फरीदा बी विगत एक वर्ष से अपने मायके में निवास कर रही थी। इन्हीं सब परिस्थितियों के कारण पत्नी ने पति के विरूद्ध भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के अंतर्गत यह प्रकरण पंजीबद्ध किया था।

   न्यायालय द्वारा उभयपक्षों को पूर्व में समझाया गया तथा आज लोक अदालत मंे उभयपक्षों को उपस्थित होने को निर्देषित किया गया था। उन्हंे आज लोक अदालत में पुनः समझाया गया कि वे साथ-साथ रहकर अच्छे से जीवन व्यतीत करें। प्रकरण में दांपत्य संबंधों की पुर्नस्थापना हो सकती है। समझाईष के उपरांत पति-पत्नी एक साथ दांपत्य जीवन निर्वहन करने को तत्पर हो गये। पति-पत्नी को न्यायालय से ही पुष्पहार पहनाकर पौधे दिये गये एवं शुभकामनाएं देकर विदा किया गया। 


सफलता की कहानी 2

कुटुम्ब न्यायालय के हिन्दू विवाह अधिनियम अंतर्गत लंबित प्रकरण में धनंजय (परिवर्तित नाम) और गीता (परिवर्तित नाम) का आठ वर्ष पूर्व विवाह हिंदू धर्म के रीति रिवाजों से संपन्न हुआ था। पति-पत्नी के बीच विवाद होने का कारण पत्नी द्वारा अधिकतर समय मोबाईल पर चैटिंग में लगे रहना एवं पति की बात नहीं सुनना था इस कारण पति मानसिक रूप से परेशान एवं बीमार रहने लगा। पत्नी ने मई 2022 से पति का परित्याग कर रखा था एवं बीमारी होने की सूचना होने पर भी पत्नी ने पति की देखभाल एवं साज संभाल करने के लिए नहीं आई और न ही कोई खबर ली। इस कारण पति ने पत्नी के विरूद्ध धारा 13(ए) हिन्दु विवाह अधिनियम 1955 का विवाह विच्छेद प्रकरण प्रस्तुत किया था। 

  प्रकरण पंजीबद्ध करने के उपरांत न्यायालय द्वारा सुलह समझाईश के लिए नेशनल लोक अदालत में नियत किया गया एवं उन्हंे आज लोक अदालत में समझाया गया कि वे साथ-साथ रहकर अच्छे से जीवन व्यतीत करें तो प्रकरण में दांपत्य संबंधों की पुर्नस्थापना हो सकती है। अथक प्रयास की समझाईष के उपरांत पति एवं पत्नी एक साथ दांपत्य जीवन निर्वहन करने को तत्पर हो गये तथा पति प्रकरण वापस लेकर पत्नी के साथ अच्छे से जीवन व्यतित करने को तैयार हो गया।

  उभयपक्ष को न्यायालय से ही पुष्पहार पहनाकर पौधे दिये गये एवं उन्हें अपना दांपत्य जीवन पुनः प्रारंभ करने हेतु शुभकामनाएं देकर विदा किया गया। 


सफलता की कहानी 3

श्रीमती दीक्षा मोर्य के न्यायालय के घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत दर्ज एक मामले में कोमल (परिवर्तित नाम) का विवाह मोहित (परिवर्तित नाम) के साथ हिंदू धर्म के रीति रिवाजों से संपन्न हुआ था। श्रीमती कोमल का अपने पति से घरेलू विवाद हो गया था। जिस कारण उसने पति के विरूद्ध घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कराया था।          

उक्त प्रकरण को न्यायालय द्वारा सुलह समझाईश के लिए नेशनल लोक अदालत में रखा गया। जिस पर उभयपक्ष आज न्यायालय में उपस्थित हुए। उन्हंे आज लोक अदालत में समझाया गया कि वे साथ-साथ रहकर अच्छे से जीवन व्यतीत करें। लोक अदालत में दी गई समझाईष के परिणामस्वरूप पति-पत्नी ने राजीनामा कर साथ रहना स्वीकार किया। 


सफलता की कहानी 4

कुंवर युवराज सिंह के न्यायालय में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 12, 18, 19, 20, 22 एवं 23 के अंतर्गत दर्ज एक मामले में आवेदिका मधुबाला (परिवर्तित नाम) का विवाह पति आषीष राजन (परिवर्तित नाम) के साथ हिंदू धर्म के रीति रिवाजों से संपन्न हुआ था। श्रीमती मधुबाला द्वारा अपने पति आषीष राजन के उपर दहेज की मांग को लेकर अपने पति से घरेलू विवाद चल रहा था जिस कारण उसने पति के विरूद्ध घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कराया था।          

उक्त प्रकरण को न्यायालय द्वारा सुलह समझाईश के लिए नेशनल लोक अदालत में बुलाया गया था। लोक अदालत में दोनो पति पत्नी उपस्थित हुए उन्हंे समझाया गया कि वे साथ-साथ रहकर अच्छे से जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा दोनो के मध्य के झगडे को सुलझा सकते हैं अथक प्रयासों के बाद लोक अदालत में दी गई समझाईष के परिणामस्वरूप पति-पत्नी ने राजीनामा कर साथ रहना स्वीकार किया।।

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