स्मृति शेष: सरलता, सेवा और संवेदना के प्रतीक थे प्रवेश अग्रवाल जी, एक बड़ा दिल, जो हमेशा दूसरों के लिए धड़कता रहा

पंडित रघुनंदन समाधिया : प्रधान संपादक : मां भगवती टाइम्स 

देवास। कभी-कभी जीवन में कुछ लोग ऐसे मिलते हैं, जिनसे मिलकर यह एहसास होता है कि इंसानियत अब भी जिंदा है। प्रवेश अग्रवाल जी ऐसे ही व्यक्तित्व थे- सरलता, विनम्रता और निस्वार्थ सेवा के साक्षात प्रतीक।

धन, वैभव और प्रतिष्ठा तो बहुतों के पास होती है, लेकिन “बड़ा दिल” हर किसी के पास नहीं होता। प्रवेश जी का हृदय सचमुच विशाल था। उनमें दूसरों के दर्द को महसूस करने की शक्ति थी और मदद करने का जज़्बा भी। वे उन दुर्लभ लोगों में से थे जिनके लिए “देना ही सबसे बड़ा सुख” था।


राजनीति के क्षेत्र में काम करने वालों के सामने कई बार अनिश्चितता होती है सफलता और असफलता दोनों की संभावनाएं बराबर रहती हैं, लेकिन जो व्यक्ति राजनीति को सेवा का माध्यम मानता है, वह हर परिस्थिति में जनता के लिए समर्पित रहता है। प्रवेश अग्रवाल जी ने राजनीति को कभी सत्ता की सीढ़ी नहीं, बल्कि समाज सेवा का रास्ता माना।


देवास में कदम रखते ही उन्होंने यहां के लोगों के दिलों में जगह बना ली। राष्ट्रीय नर्मदा सेना के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने नर्मदा मां के प्रति श्रद्धा और पर्यावरण संरक्षण का जो संदेश दिया, वह आज भी लोगों के मन में जीवित है। देवास को उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र के रूप में अपनाया केवल राजनीति के लिए नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए।


कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने अपनी सहजता और मिलनसार स्वभाव से सैकड़ों नए कार्यकर्ताओं को जोड़ा। वे मानते थे कि पार्टी की असली ताकत उसके कार्यकर्ता हैं और उन्होंने इस विचार को हमेशा व्यवहार में उतारा।

उनके प्रयासों से देवास शहर में कांग्रेस का झंडा ऊंचा लहराया। “घर चलो, घर-घर चलो” अभियान के दौरान उन्होंने दिन-रात एक कर दिया था। उनके नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा, नया उत्साह और नई दिशा आई।


केवल राजनीति तक सीमित नहीं, प्रवेश जी का योगदान धार्मिक, सामाजिक और मानवीय कार्यों में भी बराबर रहा। उन्होंने दो बार विशाल नर्मदा यात्राएँ निकालीं, जिनमें हजारों महिलाओं की भागीदारी ने एकता और श्रद्धा का अनुपम उदाहरण पेश किया।

जो भी व्यक्ति उनसे मिला, वह उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। वे बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग, हर व्यक्ति की सहायता करते थे। उनकी यह विशेषता थी कि मदद करते समय उन्होंने कभी यह नहीं देखा कि सामने वाला कौन है, किस दल से है, किस स्तर का है, बस इंसान है, यही काफी था।


उनके असमय चले जाने से देवास शहर, कांग्रेस परिवार और असंख्य शुभचिंतकों को जो गहरा आघात लगा है, उसकी भरपाई संभव नहीं।

वे केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं थे, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के प्रतीक थे- एक ऐसे इंसान जिनका दिल हर दुखी व्यक्ति के लिए धड़कता था।


आज जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो आंखें नम हो उठती हैं। पर साथ ही गर्व भी होता है कि हमने अपने बीच इतना उदार, सहृदय और जिंदादिल इंसान देखा।

उनकी मुस्कान, उनका स्नेह, उनका अपनापन — ये सब यादें अब हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।


प्रवेश जी, आप भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आपकी प्रेरणा, आपका कार्य और आपकी मानवीयता सदैव हमें राह दिखाती रहेगी।


आपको भावभीनी श्रद्धांजलि…

विनम्र नमन।


— सुधीर शर्मा

प्रवक्ता, शहर जिला कांग्रेस, देवास

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