पंडित रघुनंदन समाधिया : प्रधान संपादक : मां भगवती टाइम्स
देवास। यह कहानी है उम्मीद की... जीवनदान की... और उस मानवीय करुणा की, जिसने लाखों गरीब परिवारों को जीवन की सबसे कीमती सौगात दी। निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण इलाज का इतिहास रचने वाली योजना का नाम है "आयुष्मान भारत - निरामयम", जिसे भारत सरकार ने सितम्बर 2018 में लागू किया और मध्यप्रदेश में यह योजना सेवा और संवेदना का प्रतीक बन गई।
प्रदेश में इस क्रांतिकारी स्वास्थ्य योजना को सर्वप्रथम क्रियान्वित करने का सौभाग्य देवास स्थित अमलतास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को प्राप्त हुआ। यह संस्थान आज न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी है, बल्कि मानव सेवा के क्षेत्र में एक जीवंत उदाहरण भी बन चुका है।
आयुष्मान योजना: गरीब का सहारा, बीमारी से मुक्ति का रास्ता- १
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक पात्र गरीब और कमजोर परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क द्वितीयक एवं तृतीयक इलाज उपलब्ध कराया जाता है।
अमलतास अस्पताल ने इस योजना को न केवल तकनीकी रूप से अपनाया, बल्कि इसे जनसेवा का माध्यम बना लिया। अस्पताल प्रशासन ने इसे अपने दायित्व के रूप में नहीं, बल्कि समाज के प्रति सेवा भावना के रूप में ग्रहण किया है।
अमलतास की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. योगेश भरसट का विशेष आभार प्रकट किया गया, जिनके नेतृत्व और दिशा-निर्देशन में यह योजना प्रदेश के कोने-कोने तक पहुँच रही है।
असंभव को संभव बनाने वाली कहानियां-
अस्पताल प्रबंधन ने कुछ ऐसे केस साझा किए, जिनमें मरीजों के इलाज को कभी असंभव समझा गया था, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत उन्हें दूसरा जीवन मिला।
1. बेबी प्रियांशी (9 माह)
जन्मजात दिल की बीमारी CHD-TOF से पीड़ित इस मासूम बच्ची का महंगा ऑपरेशन अमलतास में आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क हुआ। आज वह पूर्ण स्वस्थ है और अपने माता-पिता की गोद में मुस्कुरा रही है।
2. श्रीमती लक्ष्मीबाई (42 वर्ष)
इनकी किडनी से 12.5 सेमी की स्टोन निकाली गई, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टोन मानी गई। अमलतास में आयुष्मान योजना की मदद से सफल ऑपरेशन हुआ, और आज वे दर्दमुक्त जीवन जी रही हैं।
3. श्री मोतीलाल (56 वर्ष)-
25 वर्षों से गर्दन में 4 किलो का ट्यूमर था। सांस लेना और खाना निगलना तक दूभर हो गया था। अमलतास में जटिल ऑपरेशन कर यह ट्यूमर निकाला गया और उन्हें नया जीवन मिला।
4. श्रीमती कलाबाई (52 वर्ष)-
पेट में 10 किलो की बैचेनी से भरी गठान थी। महंगे इलाज की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क ऑपरेशन कर उन्हें सुरक्षित जीवन मिला।
5. बेबी प्रीति-
स्पाइन ट्यूमर से ग्रसित इस बच्ची की सर्जरी बिना आयुष्मान योजना के असंभव थी। अब वह स्वस्थ होकर स्कूल जाती है और अपने सपनों को साकार कर रही है।
6. श्यामाबाई (63 वर्ष)-
जांघ पर 5 किलो की लाइपोमा गठान थी, जो वर्षों से उन्हें पीड़ा दे रही थी। योजना के अंतर्गत अमलतास में सफल सर्जरी कर उन्हें राहत दी गई।
अमलतास सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चेयरमैन श्री मयंक राज सिंह भदौरिया जी द्वारा बताया गया की अब तक अमलतास अस्पताल में एक लाख से अधिक मरीजों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत निःशुल्क इलाज मिल चुका है। अस्पताल ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति, तकनीक और करुणा एकजुट हों, तो कोई भी बीमारी बड़ी नहीं होती।आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य सेवा को केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार बना दिया। अब कोई गरीब बीमारी से हारने को मजबूर नहीं है, बल्कि उसे लड़ने और जीतने का भरोसा मिला है।
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