रघुनंदन समाधिया : प्रधान संपादक : मां भगवती टाइम्स
देवास। 23 जून 2025 को खिवनी खुर्द में वन विभाग द्वारा जनजाति परिवारों के अतिक्रमण हटाने की कारवाई के नाम पर घर तोड़े जाने के विरोध में जनजाति विकास मंच ने एक बहुत ही सकारात्मक भूमिका निभाते हुए जनजाति हितों की रक्षा के अपने मूल मंत्र को सार्थक करते हुए इस पुरे प्रकरण में पीड़ित जनजाति परिवारों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
जनजाति विकास मंच के कार्यकर्ता कुसमानिया के पवन भावसार व बागली के मुकेश वास्कल ने बताया कि इनके द्वारा पहले दिन से ही इस पुरे विषय की गम्भीरता को समझते हुए जनजाति परिवारों को न्याय दिलाने हेतु जनजाति विकास मंच के कार्यकर्ताओ ने जिस स्थान पर यह अन्याय पूर्ण कारवाई हुई थी वहां जाकर पीड़ित परिवारों से मिलकर सतत संपर्क शुरू करा और उनकी व्यथा को जाना।
इसके साथ ही इस समस्या का व्यवहारिक हल क्या हो सकता है इसके लिए वनाधिकार कानून व राजस्व विभाग की नीतियों के जानकारों से सलाह ली।
इस सन्दर्भ में प्रशासन के साथ भी सतत संपर्क बनाए रखा और वन विभाग के इस मनमानी कार्यप्रणाली के विरुद्ध पुरे प्रदेश में शासन के नाम ज्ञापन सौंपकर जनजाति परिवारों को न्याय दिलाने की मांग करी और कन्नौद, खातेगांव, बागली, आलीराजपुर, खण्डवा, धार में बड़ी संख्या में समाज ने ज्ञापन दिए। जिस कारण प्रशासन ने तुरंत ही अगले दिन सभी परिवारों को 20000 रुपये व 6 महीने का राशन देने की घोषणा भी करी।
इस विषय में पीड़ित परिवारों को राहत मिल सके इस लिए जनजाति विकास मंच का प्रतिनिधि मंडल जिला प्रशासन से भी मिला जिस कारण उन्होंने 28 जून को पीड़ितों को शेड वितिरित करने की मांग को पूरा भी करा।
इस पुरे घटना क्रम के पीछे जो वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों का अनैतिक आचरण सामने आया वह भी जनजाति विकास मंच ने प्रशासन व समाज के सामने रखा जिसमें से प्रमुख
बिंदु जिनको को 29 जून के वन मंत्री श्री विजय शाह जी के प्रवास में उनको ज्ञापन देकर अवगत कराया वह इस प्रकार है।
1) खिवनी अभ्यारण के SDO विकास व चिकल पाटी बीट के प्रभारी शशिकांत जाटव के विरुद्ध जनजाति समाज का आरोप कि दोनों ने निजी द्वेष के कारण इस वर्षा ऋतू के गलत मौसम में यह कार्यवाई करी व अपने पद का दुरूपयोग करा।
2) वन विभाग के एक और गम्भीर आरोप को वन मंत्री जी के सामने रखा कि वन विभाग इतने वर्षों से जनजाति समाज को वहां रहने व खेती करने दे रहा था और कभी हटने को नही बोला और जब भी वनकर्मी गांव आते थे तो इस विषय पर जनजाति समाज के परिवारों से जबरन अनाज व मुर्गा ले जाते थे।
3) साथ ही जो स्थानीय जनजाति समाज को इस प्रकरण में शंका है उसको भी वन मंत्री जी को स्पष्ट करा कि इस पुरे प्रकरण में जिला प्रशासन व वन विभाग का अमानवीय आचरण रहा है, पीड़ितों का आरोप है कि यह कारवाई इस गलत समय व गलत तरीके से इसलिए हुई क्योंकि एक जनजाति महिला ने एक वन कर्मी पर रिश्वत मांगने और बुरी दृष्टी रखने के विरुद्ध हरणगांव थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी इस बात का बदला लेने व जनजाति समाज को सबक सिखाने की दृष्टी से वन विभाग sdo खिवनी अभ्यारण व जिला प्रशासन ने यह कारवाई करी।
जनजाति विकास मंच ने मुख्य मंत्री जी के सचिव श्री लक्ष्मण सिंह जी मरकाम को उनके खिवनी दौरे पर उनको पीड़ितों से मिलवाया व इस पुरे घटनाक्रम से अवगत भी कराया और 29 तारीख को वन मंत्री व मुख्य मंत्री जी के सचिव से वन विभाग के कर्मियों पर करवाई व अन्य आरोपों पर जांच करने की मांग भी रखी।
इस पुरे घटनाक्रम में सिर्फ शोर न करते हुए पीड़ितों को सहायता मिले और भविष्य के लिए एक व्यवहारिक समाधान भी निकले इसके लिए वन मंत्री जी, मुख्य मंत्री जी के सचिव व जिला प्रशासन को सुझाव भी दिए जो इस प्रकार है जिन परिवारों के वहां घर तोड़े गये है और अगर वह संयुक्त परिवार से अलग होकर वहां रह रहे है तो उनकी अलग id कर उनको आवास योजना के निमित्त घर दिया जाए।
वन मंत्री जी की प्रेस वार्ता के बाद जनजाति विकास मंच के संयोजक श्री पवन जी भावसार व सह संयोजक श्री मुकेश जी वास्कल ने अपनी मांगों को पूरे विस्तार से मीडिया को बताया व साथ में यह भी कहा की पिछले 8 वर्षों हम जनजाति हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे है और आगे भी जनजाति समाज के सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए कार्यरत रहेंगे।
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