शहर की पैथोलॉजी रिपोर्ट पर सवाल, एक ही ब्लड टेस्ट, नौ अलग-अलग नतीजे, रिपोर्ट ही गलत होगी, तो डॉक्टर कैसे करेगा सही इलाज : कांग्रेस

पंडित रघुनंदन समाधियां प्रधान संपादक मां भगवती टाइम्स 

देवास। शहर में संचालित जिला चिकित्सालय सहित विभिन्न निजी पैथोलॉजी लैब की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष मनोज राजानी एवं कार्यकारी अध्यक्ष प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने पैथोलॉजी लैब की जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए इसकी विस्तृत पड़ताल की मांग की है।

दरअसल, एक जिम्मेदार व्यक्ति ने अपने हीमोग्लोबिन की जांच जिला चिकित्सालय के संजीवनी क्लीनिक सहित नौ अलग-अलग निजी पैथोलॉजी लैब पर करवाई, लेकिन हैरानी की बात यह रही, कि सभी रिपोर्टों में हीमोग्लोबिन का स्तर अलग-अलग निकला। यह न केवल मरीजों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि चिकित्सा प्रणाली की सटीकता पर भी सवाल खड़ा करता है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है, कि जब कोई मरीज डॉक्टर के पास जाता है, तो सबसे पहले उसकी ब्लड टेस्ट सहित अन्य जांच करवाई जाती हैं। ऐसे में अगर रिपोर्ट ही गलत होगी, तो डॉक्टर भी गलत इलाज कर सकता है। इससे मरीज की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

इस तरह की घटनाएं शहर के उन हजारों बीमार व्यक्तियों के साथ भी घट रही होगी जो इन सरकारी एवं गैर सरकारी पैथोलॉजी पर अपने खून की जांच करा रहे हैं। 

कांग्रेस नेताओं ने बताया, कि यह बहुत ही गंभीर विषय है कि अनेक पैथोलॉजी पर जांच करने के बाद हर पैथोलॉजी की रिपोर्ट में अलग-अलग दर्शाया गया है। हमारी कलेक्टर से मांग है, कि सबसे पहले वह इन पैथोलॉजी पर देखें कि इन पैथोलॉजी का संचालन कौन कर रहा है और कौन पैथोलॉजिस्ट रिपोर्ट तैयार कर रहा है। यह जांच जिला चिकित्सालय, संजीवनी क्लिनिक एवं निजी क्लीनिक पर की जाना चाहिए। चेक किया जाना चाहिए, कि एचबी मीटर में तो कोई समस्या नहीं है या सैंपल लेने वाले से कोई गड़बड़ी हो रही है या एग्जामिन करने वाले से कोई त्रुटि हो रही है। यह जनजीवन से जुड़ा मुद्दा है और इस पर कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। जहां भी इस तरह की गड़बड़ी अगर पाई जाती है तो फिर वह जिला चिकित्सालय हो या संजीवनी क्लिनिक या निजी पैथोलॉजी कानून के अनुसार कार्रवाई होना चाहिए।

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