पंडित रघुनंदन समाधिया प्रधान संपादक मां भगवती टाइम्स
देवास। शहर में मातृ पितृ पूजन कार्यक्रम फरवरी माह के प्रथम पखवाड़े में, बहुत ही उत्साह पूर्वक धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में योगिता बाल मंदिर, बावडिया, देवास विद्यालय में भारतीय संस्कृति के अनुकूल संत आसाराम बापू की प्रेरणा से, श्री योग वेदांत सेवा समिति ,युवा सेवा संघ द्वारा महिला उत्थान मंडल के सहयोग से मातृ पितृ पूजन आयोजित किया गया। सर्वप्रथम हरि ओम का गुंजन करके ,प्रार्थना की गई, फिर बच्चों ने अपने माता-पिता के सिर पर तिलक लगाया ,हार फूल चढ़ाया और आरती करके सात परिक्रमा लगाई। बच्चों ने माता पिता को मिठाई खिलाई तो , माता-पिता ने भी बच्चों का मुंह मीठा किया। समिति द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मातृ पितृ पूजन किया गया।
इस तरह कार्यक्रम की पूर्णाहुति होने पर प्राचार्य रवि श्रीवास्तव ने आश्रम समिति भाई बहनों को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे शिक्षाप्रद कार्यक्रम करने के लिए आपको धन्यवाद,आप हमेशा आमंत्रित हैं । समिति के सदस्यों ने प्राचार्य रवि श्रीवास्तव को मिष्ठान एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। युवा सेवा संघ द्वारा और भी विद्यालयों में मातृ पितृ पूजन कार्यक्रम अगले सप्ताह में आयोजित किए जाएंगे जिसमें 09 फरवरी को सरस्वती ज्ञान मंदिर नागदा तथा 11 फरवरी को शिशु विहार हाई स्कूल शांतिपुरा ,बालगढ़ रोड देवास में तथा नेवरी में मातृ पितृ पूजन किया जाएगा।
12 फरवरी को दोपहर 3 से खेड़ापति हनुमान मंदिर से एक विशाल वाहन रैली शहर के मुख्य मार्गो से निकाली जाएगी, जो कि केलादेवी मंदिर पर पूर्ण होगी। 13 फरवरी को कैला देवी मंदिर पर दोपहर 3 बजे से शहर के सभी साधकों एवं गैर साधकों द्वारा अपने अपने अभिभावकों का पूजन किया जाएगा तथा परम पूज्य संत आसाराम बापू के कृपा पात्र शिष्य रामा भाई का सत्संग होगा। 14 फरवरी को इंदौर में आयोजित होने वाले प्रदेश स्तरीय मातृपितृ पूजन कार्यक्रम में बस द्वारा देवास के साधकों द्वारा उपस्थिति दर्ज की जाएगी।
उक्त जानकारी देते हुए युवा सेवा संघ के मधुसूदन अग्रवाल ने बताया कि प्रतिवर्ष 14 फरवरी को तथा उसके पूर्व से ही पूरे भारत में तथा विदेश में भी गुरुदेव की प्रेरणा से मातृ पितृ पूजन कार्यक्रम मनाया जाता है।
इसी कड़ी में देवास में भी यह पूजन कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसका उद्देश्य यह है कि हमारे युवा हो रहे बच्चों को वैलेंटाइन डे जैसी पाश्चात्य संस्कृति की गलत दिशा से सही दिशा में मोडऩा तथा हमारी भारतीय संस्कृति की खुशहाल जीवन बनाने वाली परंपरा से अवगत करवाना।
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