मुक्ति मरने के बाद नहीं जीवित रहते हुए ही मिलना चाहिए - अंतरराष्ट्रीय अध्यात्मिक प्रवक्ता पं. इंद्रेश उपाध्याय

पंडित रघुनंदन समाधियां प्रधान संपादक मां भगवती टाइम्स

देवास। अंतिम श्वास निकलते समय भगवान का नाम स्मरण हो जाए या फिर राष्ट्र की रक्षा करते समय शहीद हो जाए तो समझो मुक्ति मिल गई। भक्ति मुक्ति नहीं दिलाती भक्ति से मुक्ति की युक्ति मिलती है और भागवत के श्रवण करने से संसार में जीवित रहते हुए मुक्ति चाहते हो तो दूर व्यवहारों से मुक्ति पाओ, वाणी की कठोरता से बुद्धि की सूक्ष्मता से अहंकार से मुक्ति अर्थात स्वयं को बदलना ही मुक्ति है। मुक्ति मरने के बाद नहीं जीवित रहते हुए ही मिलना चाहिए। आध्यात्मिक विचार कलश गार्डन में शंकर शर्मा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन अंतरराष्ट्र अध्यात्म प्रवक्ता भागवताचार्य पंडित इंद्रेश उपाध्याय ने श्रीमद भागवत पुराण के द्वितीय स्कंध की कथाओं का वर्णन का वर्णन करते प्रंगानुसार सांसारिक विषय भोग पर यथार्थ चित्रण करते हुए कहा की प्रासंगिक घटनाओं का किस प्रकार से राष्ट्र के भविष्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 



इसस समय राम और राष्ट्र दोनो की भक्ति के लिए बच्चो को श्रेष्ठ संस्कार के साथ स्कूली और आध्यात्मिक शिक्षा बचपन से देनी होगी। इसके लिए माता पिता और शिक्षकों को अच्छा बनाना होगा। संगत मोबाईल का नही भागवत कथा का करना होगा।भागवत कहती है कि राम ही राष्ट्र है और राष्ट्र ही राम है। कथा प्रसंग में सूक देव जी द्वारा राजा परीक्षित को भागवत कथा श्रवण कराते हुए भगवान कपिल द्वारा माता देहुती को दिए गए उपदेशों का वर्णन करते हुए कहा कि हमारी दसों इंद्रियां मन की गुलाम होती है। मन को वश में कर लो अर्थात चित् को बंधन में रखते हुए संगत का वातावरण में इन इन पांच गुणों को धारण करो सहनशील बनो दयावान बनो, ईर्ष्या से परे रहो, किसी शत्रु मत बनाओ और कम बोलो ये लक्षण मानव को देवत्व रूप दे सकता है ये पांच गुण गौ माता में होते इसीलिए धरती से स्वर्ग तक गाय पूजी जाती है। व्यास पीठ एवं भागवत पुराण की पूजा शंकर शर्मा एवं परिवार ने की आरती में विशेष रूप से राष्ट्रीय कथाकार पंडित लोकेश कृष्ण शास्त्री, चामुंडा सेवा समिति, जय हिंद एकेडमी के सेना प्रशिक्षक एक्स आर्मी अधिकारी अखिल भारती ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारी महिला ब्राह्मण सभा, आद्य गौड़ ब्राह्मण सभा के इंदौर देवास के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी उपस्थित थे। कथा देवास सहित इंदौर भोपाल शाजापुर गुना के अनेक विशिष्ठ गणमान्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Post a Comment

0 Comments