जनता पर बढ़ते कर का बोझ, नगर निगम परिषद की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण : कांग्रेस

पंडित रघुनंदन समाधियां प्रधान संपादक मां भगवती टाइम्स 

देवास। नगर निगम के द्वारा संपत्तिकर दोगुना, तीन स्लैब बनाकर टैक्स का निर्धारण किया गया है।                      शहर में कुल चार रेट जोन हैं। एक औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही आवासीय, कमर्शियल एवं स्वयं के उपयोग की संपत्ति। इसके अंतर्गत अगर प्रॉपर्टी किराए के उपयोग के लिए है तो 6 प्रतिशत, 8-10% संपत्ति कर लगेगा। प्रॉपर्टी स्वयं के उपयोग के लिए है तो 3 प्रतिशत, 4 प्रतिशत, 5 प्रतिशत कर लगेगा। अगर प्रॉपर्टी का वार्षिक भाड़ा मूल्य 6000 है तो प्रॉपर्टी कर मुक्त रहेगी, 180 रुपए फिक्स समेकित कर लगेगा। साथ ही पहले वित्तीय वर्ष मार्च होगा इस अवधि में अगर संपत्ति कर नहीं भरा तो अगले वर्ष 3 प्रतिशत अतिरिक्त राशि होगी जो पिछले और वर्तमान वर्ष में साथ लगेगी जो बढ़कर 6 प्रतिशत हो जाएगी। बाकी जो अन्य कर है जैसे शिक्षा उपकर, नगरी विकास कर उन्हें यथावत रखा गया है। 

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व कार्यकारी अध्यक्ष प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि प्रदेश के नगरीय विकास विभाग ने बिना आमजनों की सहमति से संपत्ति कर का निर्धारण किया है। कांग्रेस ने मांग की थी कि आम नागरिकों के लिए लोक  अदालत के माध्यम से दी जाने वाली छूट को यथावत रखा जाए, लेकिन नए टैक्स के कारण अब लोक अदालत के द्वारा संपत्तिकर में दी जाने वाली छूट के कोई मायने नहीं रहेंगे। 

कांग्रेस की मांग है, कि टैक्स की जो स्लैब अलग-अलग बनाई है, उसे भी पूर्ववर्ती रखा जाए। साथ ही 3 प्रतिशत और उसके बाद 6 प्रतिशत टैक्स जोड़ना न्याय संगत नहीं है, उसे तत्काल निरस्त किया जाए। कांग्रेस ने कहा, कि बुधवार को नगर निगम परिषद की बैठक में बढ़ाए गए संपत्तिकर को लेकर पार्षद, महापौर ने इस जनहित के मुद्दे को लेकर कोई बात नहीं की, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा परिषद चाहती है कि लोगों पर संपत्तिकर दोगुना लगे।

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